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कुशारी-गृहिणी ने जिस दु:ख का वर्णन किया, उसका कुछ सार यह है कि घर में खाने-पहरने का काफी आराम होने पर भी उनके लिए घर-गृहस्थी ही सिर्फ विषतुल्य हो गयी हो ...